जन्म कुण्डली (Birth Chart) में गुरु (Jupiter) की स्थिति का बहुत महत्व होता है। बृहस्पति न केवल उस घर को प्रभावित करता है जिसमें वह स्थित होता है बल्कि अन्य घरों को भी अपनी दृष्टि से प्रभावित करता है। इसलिए कुंडली (Horoscope) से भविष्यवाणी करते समय बृहस्पति को उचित महत्व देना महत्वपूर्ण है। जन्म कुण्डली के सातवें (Seventh) भाव में गुरु का फलादेश इस प्रकार होगा:-
Jupiter in Seventh house in case of Aries Ascendant – मेष लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
मेष लग्न में गुरु जन्म कुण्डली में नवम और द्वादश भाव का स्वामी होता है। यदि बृहस्पति सातवें भाव में है तो यह तुला राशि में होगा I गुरु की पूर्ण दृष्टि कुंडली के एकादश, लग्न और तृतीय भाव पर रहेगी।
एकादश भाव पर बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि जातक की आजीविका के लिए अच्छी होती है और जातक को अपनी आजीविका प्राप्त करने में भाग्य की अधिक भूमिका होगी। लग्न पर गुरु की पूर्ण दृष्टि शुभ होती है और यदि मंगल एकादश भाव में स्थित हो तो यह जातक की आय के लिए बहुत अच्छी स्थिति होती है।।
Jupiter in Seventh house in case of Taurus Ascendant- वृष लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
वृष लग्न में गुरु जन्मकुंडली में आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है। गुरु की पूर्ण दृष्टि कुंडली के एकादश, लग्न और तृतीय भाव पर रहेगी। यहां बृहस्पति वृश्चिक राशि में है जो मंगल का घर है I
कुंडली में एकादश भाव का स्वामी होने के बाद बृहस्पति सातवें भाव में है जो कि जीवनसाथी का भाव है। जातक को अपने जीवनसाथी से लाभ प्राप्त होता रहेगा। लाभ पर लाभ भाव के स्वामी की पूर्ण दृष्टि भी जातक की आजीविका के लिए उत्तम होती है।
Jupiter in Seventh house in case of Gemini Ascendant – मिथुन लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
मिथुन लग्न के मामले में गुरु कुंडली के सप्तम और दशम भाव का स्वामी होता है। अत: गुरु दो केन्द्र भावों के स्वामी हैं। इस लग्न में जातक सामान्यतः शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ होता है।
मिथुन लग्न में यदि बृहस्पति सातवें भाव में है तो वह धनु राशि में होगा जो इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है। क्योंकि बृहस्पति सातवें घर में है जो कि बृहस्पति का स्वयं का घर है, और यह दशम भाव का स्वामी भी है इसलिए जातक अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करता है जो शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित हो सकता है।
बृहस्पति अपनी राशि में सातवें भाव में होने के कारण जातक को अपने व्यवसाय में अपने जीवनसाथी का सहयोग मिलता है। यदि कुंडली में बुध, चंद्र और शुक्र भी बली हों तो जातक अपने प्रारंभिक जीवन में आर्थिक रूप से मजबूत होता है।
Jupiter in Seventh house in case of Cancer Ascendant – कर्क लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
कर्क लग्न में गुरु छठे और नौवें भाव के स्वामी होंगे। सातवें भाव में बृहस्पति मकर राशि में है जो बृहस्पति की नीच राशि है।
भारतीय ज्योतिष में एक नियम है :
“शनि क्षेत्रे यदा जीव : जीव क्षेत्रे यदा शनि :, स्थान हानि करो जीव: स्थानवृद्धि करो शनि: ||
अर्थात – गुरु के क्षेत्र में शनि हो और शनि के क्षेत्र में गुरु हो, तब गुरु उस स्थान की हानि करता है और शनि उस स्थान के फल में वृद्धि करते हैं।
अतः इस लग्न में सप्तम भाव में गुरु की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल नहीं होती है I इसलिए सफल वैवाहिक जीवन के लिए यह आवश्यक है कि सप्तम भाव में कोई अन्यअशुभ ग्रह न बैठा हो तथा शनि और शुक्र भी बलवान हों।
Jupiter in Seventh house in case of Leo Ascendant – सिंह लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
सिंह लग्न में बृहस्पति पंचम और अष्टम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में बृहस्पति पांचवें घर का स्वामी होता है जो विद्या का घर भी है I जातक के वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां हो सकती हैं लेकिन जातक पढ़ाई में सामान्य रूप से अच्छा होता है।।
Jupiter in Seventh house in case of Virgo Ascendant – कन्या लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
कन्या लग्न में बृहस्पति चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में बलवान होता है क्योंकि यह अपनी राशि में स्थित होता है। जातक को अचल संपत्ति प्राप्त होती है।
इसके अतिरिक्त जातक को अपने ससुराल वालों से भी कुछ वित्तीय सहायता मिल सकती है। लेकिन जातक को जीवन में कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, खासकर यदि बुध अच्छी स्थिति में न हो।
Jupiter in Seventh house in case of Libra Ascendant – तुला लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
तुला लग्न में बृहस्पति योगकारक ग्रह नहीं होता है I लेकिन सप्तम भाव में उसकी मित्र राशि में गुरु की स्थिति शुभ होती है और जातक के पराक्रम को बढ़ाने में मदद करती है।।
Jupiter in Seventh house in case of Scorpio Ascendant – वृश्चिक लग्न में बृहस्पति सातवेंभाव में
वृश्चिक लग्न में गुरु कुण्डली में दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी होता है I पंचम भाव का स्वामी होने के कारण बृहस्पति जातक के विद्या घर का प्रतिनिधित्व करता है। सातवें भाव में बृहस्पति की उपस्थिति जातक की विद्या के लिए शुभ होती है।
यदि सूर्य भी दशम भाव में हो तो जातक को सरकारी सेवा मिलने की संभावना बनती है। यदि मंगल भी दशम भाव में हो तो जातक सरकारी सेवा में उच्च पद प्राप्त कर सकता है। लग्न पर गुरु की पूर्ण दृष्टि जातक के लिए शुभ होती है।
Jupiter in Seventh house in case of sagittarius Ascendant – धनु लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
धनु लग्न में गुरु कुंडली में लग्न और चतुर्थ भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में बृहस्पति अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है I लेकिन इस लग्न में जब गुरु सातवें भाव में होता है तो इसकी लग्न पर पूर्ण दृष्टि है जो कि इसका अपना घर है, इसलिए यह बहुत शुभ है।
बुध के घर में स्थित होने के कारण, यह जातक के जीवनसाथी के लिए कुछ स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है, खासकर यदि कुंडली में बुध कमजोर है।
Jupiter in Seventh house in case of Capricorn Ascendant – मकर लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
मकर लग्न में बृहस्पति बारहवें और तीसरे भाव का स्वामी होता है। अतः इस लग्न में बृहस्पति को योगकारक ग्रह नहीं कहा जा सकता है।
लेकिन चूँकि बृहस्पति अपनी उच्च राशि में है, इसलिए यह कोई समस्या उत्पन्न नहीं करेगा, जब तक कि यह किसी अशुभ ग्रह के साथ युति में न हो।
Jupiter in Seventh house in case of Aquarius Ascendant – कुंभ लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
कुंभ लग्न में बृहस्पति एकादश और दूसरे भाव का स्वामी होता है I अतः बृहस्पति धन और आय का प्रतिनिधित्व करता है I बृहस्पति की शुभ स्थिति जातक को आर्थिक रूप से बहुत मजबूत बनाती है।
चूंकि लाभ भाव का स्वामी सातवें भाव में स्थित है । एकादश भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि भी जातक के पेशे के लिए अच्छी होती है। बृहस्पति इस लग्न जातक को आर्थिक रूप से मजबूत रखने में मदद करता है।
Jupiter in Seventh house in case of Pisces Ascendant – मीन लग्न में बृहस्पति सातवें भाव में
मीन लग्न में गुरु कुंडली में पहले और दसवें भाव का स्वामी होता है I इस लग्न में जातक के लिए सातवें भाव में बृहस्पति की स्थिति शुभ होती है। सातवें घर में गुरु की स्थिति न केवल जातक के लिए बल्कि जातक के परिवार के लिए भी अच्छी होती है।
लग्न पर बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि जातक के व्यक्तित्व के लिए अच्छी होती है और उसे कई समस्याओं से बचाती है। यदि जातक के अन्य ग्रह पर्याप्त मजबूत नहीं हैं तो भी तो भी गुरु की लग्न पर पूर्ण दृष्टि जातक को जीवन में ऊंचा उठाने में मदद करती है।
कुंडली से भविष्यवाणी हमेशा सभी तथ्यों और सभी ग्रहों की स्थिति और शुभता को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए। केवल एक ग्रह की स्थिति पर विचार नहीं करना चाहिए।