जन्म कुण्डली (Birth Chart) में गुरु (Jupiter) की स्थिति का बहुत महत्व होता है। बृहस्पति न केवल उस घर को प्रभावित करता है जिसमें वह स्थित होता है बल्कि अन्य घरों को भी अपनी दृष्टि से प्रभावित करता है। इसलिए कुंडली (Horoscope) से भविष्यवाणी करते समय बृहस्पति को उचित महत्व देना महत्वपूर्ण है। जन्म कुण्डली के दसवें (Tenth) भाव में गुरु का फलादेश इस प्रकार होगा:-
Jupiter in Tenth house in case of Aries Ascendant – मेष लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
मेष लग्न में गुरु जन्म कुण्डली में नवम और द्वादश भाव का स्वामी होता है। यदि बृहस्पति दसवें भाव में है तो यह मकर राशि में होगा I गुरु की पूर्ण दृष्टि कुंडली के दूसरे, चतुर्थ और छठे भाव पर रहेगी।
दशम भाव में बृहस्पति की स्थिति जातक की आजीविका के लिए अच्छी होती है और जातक और जातक अपने खुद के प्रयास से आजीविका प्राप्त करने का प्रयास करता है।
“शनि क्षेत्रे यदा जीव : जीव क्षेत्रे यदा शनि :, स्थान हानि करो जीव: स्थानवृद्धि करो शनि: ||
अर्थात – गुरु के क्षेत्र में शनि हो और शनि के क्षेत्र में गुरु हो, तब गुरु उस स्थान की हानि करता है और शनि उस स्थान के फल में वृद्धि करते हैं।
कोई भी ग्रह जो अपनी शत्रु राशि में अथवा नीच राशि में होता है पूर्ण फल प्रदान करने में सक्षम नहीं होता है। इसलिए जहां तक नौकरी या करियर की बात है तो परिणाम मेहनत के अनुरूप नहीं मिलेंगे।
Jupiter in Tenth house in case of Taurus Ascendant- वृष लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
वृष लग्न में गुरु जन्मकुंडली में आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है। गुरु की पूर्ण दृष्टि कुंडली के दूसरे, चतुर्थ और छठे भाव पर रहेगी।
कुंडली में एकादश भाव का स्वामी होने के बाद बृहस्पति दसवें भाव में है जो कि कर्म का भाव है। जातक को अपने व्यवसाय या पेशे से कुछ धन प्राप्त होता रहेगा।
चूंकि बृहस्पति अपने घर से बारहवें स्थान पर है, इसलिए व्यवसाय या पेशे के मामले में वांछित परिणाम प्राप्त करना मुश्किल होगा, लेकिन यदि शनि अच्छी स्थिति में है, तो जातक को अच्छी नौकरी मिलेगी।
Jupiter in Tenth house in case of Gemini Ascendant – मिथुन लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
मिथुन लग्न के मामले में गुरु कुंडली के सप्तम और दशम भाव का स्वामी होता है। अत: गुरु दो केन्द्र भावों के स्वामी हैं। इस लग्न में जातक सामान्यतः शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ होता है।
मिथुन लग्न में यदि बृहस्पति दसवें भाव में है तो वह मीन राशि में होगा जो इसकी अपनी राशि भी है। जातक अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करता है जो शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित हो सकता है।
दूसरे भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि जातक की आर्थिक स्थिति के लिए अच्छी होती है। यदि कुंडली में बुध, चंद्र और शुक्र भी बली हों तो जातक अपने प्रारंभिक जीवन में आर्थिक रूप से मजबूत होता है।
Jupiter in Tenth house in case of Cancer Ascendant – कर्क लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
कर्क लग्न में गुरु छठे और नौवें भाव के स्वामी होंगे। दसवें भाव में बृहस्पति मेष राशि में है जो बृहस्पति की मित्र राशि है।
यदि बृहस्पति दसवें भाव में चन्द्रमा से युति कर रहा हो तो जातक के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। यदि मंगल भी बृहस्पति के साथ दसवें भाव में हो तो तब जातक को अपनी विद्या की सहायता से नौकरी मिलती है।
Jupiter in Tenth house in case of Leo Ascendant – सिंह लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
सिंह लग्न में बृहस्पति पंचम और अष्टम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में बृहस्पति पांचवें घर का स्वामी होता है जो विद्या का घर भी है I इसलिए जातक की विद्या जातक की आजीविका में एक बड़ी भूमिका निभाती है।
यद्यपि दशम भाव में बृहस्पति की स्थिति जातक की आजीविका के लिए शुभ होती है लेकिन मजबूत शुक्र और सूर्य जातक को लगातार प्रगति करने में मदद करते हैं।
Jupiter in Tenth house in case of Virgo Ascendant – कन्या लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
कन्या लग्न में बृहस्पति चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होता है। दो केंद्र स्थानों का स्वामी होने के नाते, बृहस्पति इस लग्न के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दशम भाव में बृहस्पति की उपस्थिति के कारण जातक अनेक संपत्तियों का स्वामी हो सकता है।
Jupiter in Tenth house in case of Libra Ascendant – तुला लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
तुला लग्न में बृहस्पति योगकारक ग्रह नहीं होता है I दसवें भाव में गुरु होने की स्थिति में जातक बहुत मेहनत से थोड़ा धन कमाता है। यदि मंगल बारहवें भाव में स्थित हो तो अत्यधिक व्यय के कारण धन का संचय नहीं हो पाता है। जातक को अपने ससुराल पक्ष से भी अधिक सहयोग की आशा नहीं करनी चाहिए।
Jupiter in Tenth house in case of Scorpio Ascendant – वृश्चिक लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
वृश्चिक लग्न में गुरु कुण्डली में दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी होता है I पंचम भाव का स्वामी होने के कारण बृहस्पति जातक के विद्या घर का प्रतिनिधित्व करता है। दसवें भाव में बृहस्पति की उपस्थिति जातक की विद्या और आजीविका के लिए शुभ होती है।
यदि सूर्य भी दशम भाव में हो तो जातक को सरकारी सेवा मिलने की संभावना बनती है। यदि मंगल भी दशम भाव में हो तो जातक सरकारी सेवा में उच्च पद प्राप्त कर सकता है।
Jupiter in Tenth house in case of sagittarius Ascendant – धनु लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
धनु लग्न में गुरु कुंडली में लग्न और चतुर्थ भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में बृहस्पति अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है I लेकिन इस लग्न में जब गुरु दसवें भाव में होता है तो अपनी शत्रु राशि में होता है। अतः जातक जीवन में कुछ संघर्ष के साथ अपनी आजीविका में सफल होता है।
Jupiter in Tenth house in case of Capricorn Ascendant – मकर लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
मकर लग्न में बृहस्पति बारहवें और तीसरे भाव का स्वामी होता है। अतः इस लग्न में बृहस्पति को योगकारक ग्रह नहीं कहा जा सकता है। जब बृहस्पति दसवें भाव में होता है तो जातक को अपनी आजीविका में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
यदि इस लग्न में शनि भी कमजोर हो तो जातक अपने जीवन में संपत्ति अर्जित नहीं कर पाता है। हालांकि अगर नवांश लग्न में बृहस्पति अच्छी स्थिति में है तो यह अशुभ फल नहीं देगा।
Jupiter in Tenth house in case of Aquarius Ascendant – कुंभ लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
कुंभ लग्न में बृहस्पति एकादश और दूसरे भाव का स्वामी होता है I अतः बृहस्पति धन और आय का प्रतिनिधित्व करता है I बृहस्पति की शुभ स्थिति जातक को आर्थिक रूप से बहुत मजबूत बनाती है।
चूंकि लाभ भाव का स्वामी अपने ही घर से बारह भाव में है, इसलिए जातक को किसी व्यवसाय या पेशे की बजाय नौकरी में अधिक सफलता दिलाता है। बृहस्पति की दूसरे भाव पर दृष्टि होने से जातक आर्थिक रूप से मजबूत होता है।
Jupiter in Tenth house in case of Pisces Ascendant – मीन लग्न में बृहस्पति दसवें भाव में
मीन लग्न में गुरु कुंडली में पहले और दसवें भाव का स्वामी होता है I इस लग्न में जातक के लिए दसवें भाव में बृहस्पति की स्थिति शुभ होती है। दसवें भाव में बृहस्पति पेशे या नौकरी के लिए, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में, बहुत अच्छा होता है और जातक के वित्तीय और व्यावसायिक पहलुओं को मजबूत करता है।
कुंडली से भविष्यवाणी हमेशा सभी तथ्यों और सभी ग्रहों की स्थिति और शुभता को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए। केवल एक ग्रह की स्थिति पर विचार नहीं करना चाहिए।