मेष लग्न में यदि गुरु जन्म कुण्डली में प्रथम भाव में हो तो नवम और द्वादश भाव का स्वामी होता है। बृहस्पति पहले भाव में होने से जातक के पहले भाव के साथ-साथ पांचवें और नौवें भाव को भी बल देता है।
मेष लग्न में यदि गुरु जन्म कुण्डली में प्रथम भाव में हो तो नवम और द्वादश भाव का स्वामी होता है। बृहस्पति पहले भाव में होने से जातक के पहले भाव के साथ-साथ पांचवें और नौवें भाव को भी बल देता है।
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