जन्मकुंडली में यदि मंगल ( Mangal ) दसवें स्थान में हो तो विभिन्न लग्नों में इसका फल ( Dasham bhav me fal ) अलग होगा। यह याद रखना चाहिए कि केवल एक ग्रह को देखकर फलादेश नहीं बोलना चाहिए। बल्कि भविष्यवाणी हमेशा सभी ग्रहों और अन्य कारकों के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होनी चाहिए। जन्मकुंडली में अलग-अलग लगनो में मंगल का फल (यदि मंगल दसवें में स्थान में हो तो Mangal in Tenth House) कैसा रहेगा निम्न पंक्तियों में बताया गया है:-
मेष लग्न में मंगल
मंगल मेष लग्न में यदि दसवें स्थान पर हो तो तब वह लग्न और अष्टम का स्वामी होकर दसवें स्थान में होगा। भारतीय ज्योतिष में यदि मंगल कुंडली के दशम भाव में स्थित हो तो जातक को कुल का दीपक कहा जाता है। इसका अर्थ है कि जातक अपने कर्मों से अपने परिवार का नाम और कीर्ति बढ़ाता है। मेष लग्न उन लग्नों में से एक है जहां यह सच होता है। यदि इस लग्न में मंगल दशम भाव में हो तो बहुत शुभ माना जाता है।
वृष लग्न में मंगल
वृष लग्न में मंगल बारहवें और सातवें घर का स्वामी है। इस लग्न में मंगल दसवें स्थान पर हो तो जातक विवाह के बाद ही अपने काम में वास्तविक रूचि लेता है। जातक को नौकरी पाने के लिए काफी धन खर्च करना पड़ सकता है।
मिथुन लग्न में मंगल
मिथुन लग्न में मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा। अतः मंगल दसवें स्थान पर हो और गुरु दूसरे भाव में हो तो जातक के लिए मंगल शुभ होता है।
कर्क लग्न में मंगल
कर्क लग्न में मंगल कुंडली में पंचम और दशम भाव का स्वामी होगा। केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होना एक अच्छा संकेत है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी है तो उसकी पापी प्रकृति निष्प्रभावी हो जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि मंगल शनि या राहु केतु की युति न हो तो इस लग्न में मंगल अच्छा रहेगा। यदि गुरु लग्न में हो और शुक्र बुध और सूर्य दूसरे भाव में हों तो जातक के लिए बहुत शुभ होता है।
सिंह लग्न में मंगल
सिंह लग्न में मंगल कुंडली में चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल दसवें स्थान पर हो तो तो यह जातक के लिए शुभ होगा। जातक को अपने जीवन में बहुत जल्द नौकरी मिल जाएगी। यदि शुक्र दसवें भाव में हो और सूर्य लग्न में हो तो जातक को सरकारी नौकरी मिलने की संभावना होती है।
कन्या लग्न में मंगल
कन्या लग्न में मंगल तीसरे और आठवें भाव का स्वामी होगा। कन्या लग्न के मामले में मंगल दसवें स्थान पर हो तो तो यह जातक के लिए इतना अच्छा नहीं होगा। जातक को किसी छोटी-सी सेवा या किसी छोटे काम से अपना जीवन यापन करना होगा। जहां तक जातक के व्यावसायिक जीवन का प्रश्न है तो जातक को संघर्ष करना पड़ेगा।
तुला लग्न में मंगल
तुला लग्न में मंगल द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल दसवें स्थान पर हो तो जातक विवाह के बाद ही अपने काम में वास्तविक रूचि लेता है। क्योंकि इस घर में मंगल अपनी नीच राशि में है, यदि मंगल राहु केतु के साथ युति में हो तो शुभ फल देने की संभावना नहीं होगी I
वृश्चिक लग्न में मंगल
वृश्चिक लग्न में मंगल पहले और छठे भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल दसवें स्थान पर हो तो अधिकतर मंगल शुभ फल देगा। यदि सूर्य दशम भाव में मंगल के साथ हो तो जातक को अपने जीवन में सरकारी नौकरी मिलने की संभावना रहती है।
धनु लग्न में मंगल
धनु लग्न में मंगल द्वादश और पंचम भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल दसवें स्थान पर हो तो यह कन्या राशि में होगा जो इसकी शत्रु राशि है। जातक के लिए इस लग्न में गुरु का स्थान महत्वपूर्ण होता है। यदि गुरु अच्छी स्थिति में है और मंगल, शनि और राहु केतु के साथ नहीं है, तो यह कोई प्रतिकूल परिणाम नहीं देगा।
मकर लग्न में मंगल
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल दसवें स्थान पर हो तो फिर वह अपने ग्यारहवें घर से बारहवें स्थान पर होगा। यदि कुंडली में शनि और शुक्र भी अच्छी स्थिति में हों तो जातक अपने जीवन में कई संपत्तियों का स्वामी बन जाता है। जातक के किसी भी व्यवसाय के बजाय अपने पेशे या नौकरी में उत्कृष्टता प्राप्त करने की संभावना है।
कुंभ लग्न में मंगल
कुंभ लग्न में मंगल कुंडली के तीसरे और दसवें भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल दसवें स्थान पर हो तो तो यह जातक के लिए शुभ होगा क्योंकि मंगल अपनी राशि में है। यदि सूर्य सप्तम भाव में हो तो जातक को सरकारी नौकरी मिल सकती है।
मीन लग्न में मंगल
मीन लग्न में मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल दसवें स्थान पर हो तो तब वह भाग्य भाव का स्वामी होकर दशम भाव में होगा। यदि गुरु छठे भाव में हो और शनि पंचम भाव में हो तो जातक अपने प्रयासों से बहुत धन अर्जित करेगा।