जन्मकुंडली में यदि मंगल ( Mangal ) नौवें स्थान में हो तो विभिन्न लग्नों में इसका फल ( Navam bhav me fal ) अलग होगा। यह याद रखना चाहिए कि केवल एक ग्रह को देखकर फलादेश नहीं बोलना चाहिए। बल्कि भविष्यवाणी हमेशा सभी ग्रहों और अन्य कारकों के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होनी चाहिए। जन्मकुंडली में अलग-अलग लगनो में मंगल का फल (यदि मंगल नौवें स्थान में हो तो Mangal in Ninth House) कैसा रहेगा निम्न पंक्तियों में बताया गया है:-
मेष लग्न में मंगल
मंगल मेष लग्न में यदि नौवें स्थान पर हो तो तब वह लग्न और अष्टम का स्वामी होकर नौवें भाव में होगा। यदि मंगल नवम भाव में हो और गुरु पंचम भाव में हो तो भाग्य जातक का बार-बार साथ देगा। यदि मंगल नवम भाव में हो और चन्द्र दशम भाव में हो तो जातक अनेक सम्पत्तियों का स्वामी होता है।
वृष लग्न में मंगल
वृष लग्न में मंगल बारहवें और सातवें घर का स्वामी है। इस लग्न में मंगल मंगल नौवें स्थान पर हो तो जातक के विवाह के बाद जातक के भाग्योदय की संभावना होती है। लेकिन ऐसा होने के लिए जातक का शुक्र भी अनुकूल स्थिति में होना चाहिए।
मिथुन लग्न में मंगल
मिथुन लग्न में मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा। अतः मंगल नौवें स्थान पर हो और चंद्रमा एकादश भाव में हो तो जातक को व्यवसाय से लाभ होगा।
कर्क लग्न में मंगल
कर्क लग्न में मंगल कुंडली में पंचम और दशम भाव का स्वामी होगा। केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होना एक अच्छा संकेत है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी है तो उसकी पापी प्रकृति निष्प्रभावी हो जाती है। मंगल नौवें स्थान पर हो और गुरु लग्न में हो तो जातक विद्या में बहुत सफल होता है। वैसा भी गुरु की स्थिति लगन में बहुत शुभ होगी। यदि सूर्य बुध और शुक्र दूसरे भाव में हों तो जातक करोड़पति होता है।
सिंह लग्न में मंगल
सिंह लग्न में मंगल कुंडली में चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल नौवें स्थान पर हो तो तो भाग्य स्थान के स्वामी भाग्य स्थान में होंगे I मंगल जातक को कई संपत्तियों का मालिक बनने में भी मदद करेगा।
कन्या लग्न में मंगल
कन्या लग्न में मंगल तीसरे और आठवें भाव का स्वामी होगा। कन्या लग्न के मामले में मंगल नौवें स्थान पर हो तो यह जातक के लिए अधिक लाभकारी नहीं होगा। इस लग्न में मंगल कोई योगकारक ग्रह नहीं है। लेकिन मंगल तीसरे घर को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है और तीसरा घर उसका अपना घर है। तो इससे जातक के पराक्रम में वृद्धि होगी।
तुला लग्न में मंगल
तुला लग्न में मंगल द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल मंगल नौवें स्थान पर मिथुन राशि में स्थित है जो इसकी शत्रु राशि है। इसके अलावा मंगल अपने दूसरे घर से आठवें स्थान पर है। जातक को अपने जीवन में धन की कमी का सामना करना पड़ेगा, खासकर यदि शुक्र और सूर्य पर्याप्त मजबूत नहीं हैं।
वृश्चिक लग्न में मंगल
वृश्चिक लग्न में मंगल पहले और छठे भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल नौवें भाव में स्थित हो तो यह चंद्रमा के घर में होगा I इसलिए यदि चंद्रमा तीसरे भाव में हो तो जातक भाग्यशाली होता है।
धनु लग्न में मंगल
धनु लग्न में मंगल द्वादश और पंचम भाव का स्वामी होगा। कुंडली में मंगल नौवें स्थान पर हो और सूर्य और गुरु इसके साथ हैं, यह जातक के लिए बहुत शुभ होगा । जातक को थोड़े से प्रयास से ही सफलता मिलेगी।
मकर लग्न में मंगल
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होगा। मंगल नौवें स्थान पर हो तो और कुंडली में शनि और शुक्र की स्थिति अच्छी है, जातक को अपने पेशे के साथ-साथ संपत्ति से भी लाभ होने की संभावना होगी I
कुंभ लग्न में मंगल
कुंभ लग्न में मंगल कुंडली के तीसरे और दसवें भाव का स्वामी होगा। मंगल नौवें स्थान पर हो तो मंगल दशम भाव से बारहवें भाव में होगा जो उसका अपना घर है। तो जातक का कर्म स्थान कमजोर हो जाता है। इसलिए जातक अपने लक्ष्य को पूरा करने में आलसी महसूस करेगा। लेकिन तीसरे भाव में मंगल की पूर्ण दृष्टि है जिससे जातक के परकर्म में वृद्धि होगी।
मीन लग्न में मंगल
मीन लग्न में मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी होगा। मंगल नौवें स्थान पर हो तो तो यह अपने ही घर में होगा। नवम भाव में द्वितीय भाव के स्वामी की स्थिति इंगित करती है कि जातक धन प्राप्त करने में भाग्यशाली होगा। यदि गुरु लग्न में हो तो जातक के लिए अधिक शुभ होगा ।