जन्मकुंडली में यदि मंगल ( Mangal ) यदि मंगल पंचम स्थान में हो तो विभिन्न लग्नों में इसका फल ( pancham bhav me fal ) अलग होगा। यह याद रखना चाहिए कि केवल एक ग्रह को देखकर फलादेश नहीं बोलना चाहिए। बल्कि भविष्यवाणी हमेशा सभी ग्रहों और अन्य कारकों के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होनी चाहिए। जन्मकुंडली में अलग-अलग लगनो में मंगल का फल (यदि मंगल पंचम स्थान में हो तो ) कैसा रहेगा निम्न पंक्तियों में बताया गया है:-
मेष लग्न में मंगल
मंगल मेष लग्न में यदि पंचम स्थान में हो तो यह जातक की विद्या के लिए अच्छा होगा I यदि गुरु की पूर्ण दृष्टि भी पंचम भाव में हो तो बहुत शुभ होता है। जातक दीर्घायु होता है I यदि शनि दूसरे भाव में हो और मंगल पंचम भाव में हो तो जातक अपने व्यवसाय और पेशे से बहुत धन कमाता है।
वृष लग्न में मंगल
वृष लग्न में मंगल बारहवें और सातवें घर का स्वामी है। इस लग्न में मंगल कोई योगकारक ग्रह नहीं है। हालांकि जातक और उसके जीवनसाथी के लिए विवाह के बाद पंचम भाव में मंगल की स्थिति अच्छी होती है।
मिथुन लग्न में मंगल
मिथुन लग्न में मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा। अतः पंचम स्थान में मंगल की अपने स्वयं के घर ग्यारहवें भाव पर पूर्ण दृष्टि होगी जो उसके व्यवसाय या पेशे के लिए बहुत अच्छा साबित होगा I
कर्क लग्न में मंगल
कर्क लग्न में मंगल कुंडली में पंचम और दशम भाव का स्वामी होगा। केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होना एक अच्छा संकेत है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी है तो उसकी पापी प्रकृति निष्प्रभावी हो जाती है। कर्क लग्न की स्थिति में पंचम स्थान में मंगल की उपस्थिति जातक की विद्या और पेशे के लिए एक अच्छा संकेत है। हालांकि मंगल अपने दसवें घर से आठवें स्थान पर है जो जातक के करियर के संबंध में कमजोरी का संकेत है I
सिंह लग्न में मंगल
सिंह लग्न में मंगल कुंडली में चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल पंचम भाव में हो तथा गुरु की दृष्टि पंचम भाव में हो तो यह स्थिति जातक की विद्या के लिए बहुत अच्छी होती है।
कन्या लग्न में मंगल
कन्या लग्न में मंगल तीसरे और आठवें भाव का स्वामी होगा। कन्या लग्न के मामले में पंचम स्थान में मंगल की स्थिति बहुत सकारात्मक नहीं कही जा सकती है I जातक के अध्ययन में मंगल बाधक होगा। मंगल की महादशा में जातक को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
तुला लग्न में मंगल
तुला लग्न में मंगल द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होगा। पंचम भाव में मंगल विवाह के बाद जातक के जीवनसाथी को लाभ देगा। यदि सूर्य एकादश भाव में हो और मंगल पंचम भाव में हो तो जातक के लिए व्यवसाय या पेशे से लाभ की दृष्टि से बहुत लाभदायक सिद्ध होगा।
वृश्चिक लग्न में मंगल
वृश्चिक लग्न में मंगल पहले और छठे भाव का स्वामी होगा। पंचम स्थान में यह जातक की विद्या के लिए अच्छा होगा I यदि गुरु की पूर्ण दृष्टि भी पंचम भाव में हो तो बहुत शुभ होता है।
धनु लग्न में मंगल
धनु लग्न में मंगल द्वादश और पंचम भाव का स्वामी होगा। कुंडली में पंचम स्थानमें मंगल अपने घर का होगा I तो यह जातक की विद्या के लिए बहुत शुभ होगा, खासकर यदि पंचम भाव गुरु द्वारा देखा जा रहा हो।
मकर लग्न में मंगल
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होगा। मंगल पंचम भाव में होने के कारण एकादश भाव में मंगल की पूर्ण दृष्टि होगी। क्योंकि मंगल इस लग्न में एकादश भाव का स्वामी है, यह जातक के व्यवसाय या पेशे में बहुत शुभ साबित होगा। जातक को भूमि या जायदाद से भी लाभ होगा।
कुंभ लग्न में मंगल
कुंभ लग्न में मंगल कुंडली के तीसरे और दसवें भाव का स्वामी होगा। पंचम स्थान में मंगल अपने दशम भाव से आठवें स्थान पर होगा I दसवां घर कर्म का घर है तो दसवां घर कमजोर हो जाएगा। इसलिए जातक को अपनी आजीविका कमाने के लिए संघर्ष करना होगा। लेकिन यदि गुरु पंचम भाव में हो तो जातक के व्यवसाय के लिए बहुत अच्छा होता है।
मीन लग्न में मंगल
मीन लग्न में मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी होगा। पंचम स्थान में मंगल कर्क राशि में होगा। कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। गुरु नवम में हो और चंद्रमा ग्यारहवें भाव में हो तो यह विद्या, धन और जातक के समग्र भाग्य के लिए बहुत शुभ होगा।