जन्मकुंडली में ( Mangal ) यदि मंगल मंगल सप्तम भाव में हो तो विभिन्न लग्नों में इसका फल ( faladesh in seventh house ) अलग होगा। यह याद रखना चाहिए कि केवल एक ग्रह को देखकर फलादेश नहीं बोलना चाहिए। बल्कि भविष्यवाणी हमेशा सभी ग्रहों और अन्य कारकों के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होनी चाहिए।
जहां तक सप्तम भाव में मंगल की स्थिति का संबंध है, सामान्य लोग इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं। इसका कारण मांगलिक दोष है जो सप्तम भाव में मंगल की स्थिति के कारण बनता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी कुंडली के सातवें भाव में मंगल होता है लेकिन वे सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं। जन्मकुंडली में अलग-अलग लगनो में मंगल का फल (यदि मंगल सप्तम स्थान में हो तो ) कैसा रहेगा निम्न पंक्तियों में बताया गया है:-
मेष लग्न में मंगल
मंगल मेष लग्न में यदि सप्तम भाव में हो तब यह लग्न और आठवें भाव का स्वामी होगा। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी है तो उसकी पापी प्रकृति निष्प्रभावी हो जाती है। अत: यदि लग्नेश मंगल सप्तम भाव में बैठा हो तो दाम्पत्य जीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है, बशर्ते कि लड़के और लड़की दोनों की कुंडली में शुक्र और गुरु की स्थिति अच्छी हो और अष्टकूट मिलान किया गया हो ।
जातक अच्छे व्यक्तित्व का होगा क्योंकि मंगल की अपने घर में पूर्ण दृष्टि है। कुंडली के कर्म स्थान पर मंगल की दृष्टि भी शुभ है।
वृष लग्न में मंगल
वृष लग्न में मंगल बारहवें और सातवें घर का स्वामी है। इस लग्न में मंगल सप्तम भाव का स्वामी होने के बाद सप्तम भाव में विराजमान है। यदि वर और वधू दोनों की कुण्डली में गुरु और शुक्र अच्छी स्थिति में हों तो स्वग्रही मंगल इतना अधिक मांगलिक दोष उत्पन्न नहीं करेगा।
मिथुन लग्न में मंगल
मिथुन लग्न में मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा। मंगल सप्तम भाव में हो और यदि कुंडली में गुरु और शुक्र की स्थिति अच्छी नहीं है, तो जातक के वैवाहिक जीवन में मंगल दोष जातक को कई तरह से प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा।
कर्क लग्न में मंगल
कर्क लग्न में मंगल कुंडली में पंचम और दशम भाव का स्वामी होगा। केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होना एक अच्छा संकेत है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी है तो उसकी पापी प्रकृति निष्प्रभावी हो जाती है। कर्क लग्न की स्थिति में मंगल सप्तम भाव में हो तो जातक के व्यवसाय और पेशे के लिए बहुत शुभ रहेगा। लड़के और लड़की दोनों की कुंडली में शुक्र और गुरु की स्थिति अच्छी हो और अष्टकूट मिलान किया गया हो तो मंगल इतना अधिक मांगलिक दोष उत्पन्न नहीं करेगा।
सिंह लग्न में मंगल
सिंह लग्न में मंगल कुंडली में चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होगा। नवम और चतुर्थ भाव का स्वामी होने के बाद यदि मंगल सप्तम भाव में बैठा हो तो यह अशुभ संकेत नहीं है। लेकिन यदि शुक्र और गुरु के साथ शनि कमजोर हो तो जातक को विवाह संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कन्या लग्न में मंगल
कन्या लग्न में मंगल तीसरे और आठवें भाव का स्वामी होगा। कुंडली के सप्तम भाव में मंगल होने पर जातक के वैवाहिक जीवन के लिए मंगल उतना अच्छा नहीं रहेगा। सप्तम भाव में मंगल की स्थिति स्वयं जातक के स्वास्थ्य के लिए भी उतनी अच्छी नहीं है। जातक के दाम्पत्य जीवन की सफलता के लिए कुंडली में गुरु का शुभ स्थान पर होना बहुत महत्वपूर्ण है।
तुला लग्न में मंगल
तुला लग्न में मंगल द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल सप्तम भाव का स्वामी होने के बाद सप्तम भाव में विराजमान है I पाप ग्रह के साथ मंगल की युति जातक के दाम्पत्य जीवन के लिए अच्छी नहीं होगी। यह आवश्यक है कि पाप ग्रहों की युति या दृष्टि मंगल पर न हो, अन्यथा मांगलिक दोष निश्चित रूप से जातक को प्रभावित करेगा।
वृश्चिक लग्न में मंगल
वृश्चिक लग्न में मंगल पहले और छठे भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल सप्तम भाव हो और ग्रहों की युति या दृष्टि मंगल पर न हो तो दाम्पत्य जीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है I मंगल की स्थिति स्वयं जातक के लिए और उसके पेशे के लिए अच्छी है।
धनु लग्न में मंगल
धनु लग्न में मंगल द्वादश और पंचम भाव का स्वामी होगा। कुंडली में मंगल सप्तम भाव में मंगल मिथुन राशि में है जो इसकी मित्र राशि नहीं है। जहां तक जातक के दाम्पत्य जीवन की बात है तो हमेशा किसी न किसी तरह की समस्या बनी रहेगी। विवाह और विवाह संबंधी मुद्दों पर अधिक खर्च होगा।
मकर लग्न में मंगल
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में जब कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी होता है तो उसका पाप तत्व निष्प्रभावी हो जाता है। हालांकि मंगल अपनी नीच राशि में सप्तम भाव में होगा। लेकिन यदि मंगल शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो संबंधित दोष कम हो जाते हैं।
कुंभ लग्न में मंगल
कुंभ लग्न में मंगल कुंडली के तीसरे और दसवें भाव का स्वामी होगा। मंगल सप्तम भाव में हो तो जातक के व्यवसाय और पेशे के लिए बहुत शुभ रहेगा। यदि सूर्य और गुरु की मंगल पर पूर्ण दृष्टि हो तो जातक को विवाह के बाद लाभ होता है।
मीन लग्न में मंगल
मीन लग्न में मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी होगा। सप्तम भाव में मंगल कन्या राशि में होगा जो इसकी शत्रु राशि है। सप्तम भाव में होने के कारण मंगल की द्वितीय भाव में पूर्ण दृष्टि होगी जो जातक के लिए धन की आवक के मामले में बहुत लाभकारी होगी। यदि मंगल की शुभ ग्रहों के साथ युति न हो तो जातक पर मांगलिक दोष का कुछ प्रभाव पड़ता है।