जन्मकुंडली में यदि मंगल ( Mangal ) प्रथम भाव में हो तो विभिन्न लग्नों में इसका फल ( Pratham Bhav me fal ) अलग होगा। यह याद रखना चाहिए कि केवल एक ग्रह को देखकर फलादेश नहीं बोलना चाहिए। बल्कि भविष्यवाणी हमेशा सभी ग्रहों और अन्य कारकों के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होनी चाहिए। जन्मकुंडली में अलग-अलग लगनो में मंगल का फल कैसा रहेगा निम्न पंक्तियों में बताया गया है:-
मेष लग्न में मंगल
मेष लग्न में यदि मंगल पहले घर में हो ( प्रथम भाव में हो ) तो यह स्वास्थ्य, संपत्ति के मामले और लंबी उम्र के लिए अच्छा होता है। हालांकि जातक मांगलिक होगा लेकिन मंगल लग्नेश होने के कारण इसका मांगलिक दोष कम हो जाएगा। लेकिन शनि और राहु केतु सप्तम भाव या प्रथम भाव में हों या प्रथम या सप्तम भाव राहु केतु या शनि द्वारा देखा जा रहा हो तो मांगलिक दोष अपना प्रभाव दिखा सकता है। इसके अलावा जातक का व्यक्तित्व अच्छा होता है।
वृष लग्न में मंगल
यदि वृष लग्न में मंगल प्रथम भाव में हो तो यह बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। सप्तम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि होने से जो उसका अपना घर है, मांगलिक दोष कुछ हद तक कम हो जाएगा। लेकिन मंगल समय-समय पर जीवन को थोड़ा कठिन बना देगा और परेशनिया पैदा करेगा।
मिथुन लग्न में मंगल
मिथुन लग्न में मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा। अतः प्रथम भाव में मंगल की उपस्थिति संपत्ति आदि से धन कमाने के लिए अच्छी होगी लेकिन स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होगी। इसके अलावा मांगलिक दोष जातक को प्रभावित करेगा। विशेष रूप से मंगल की महादशा जातक के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगी और इस अवधि में जातक को सावधान रहने की आवश्यकता है।
कर्क लग्न में मंगल
कर्क लग्न में मंगल कुंडली में पंचम और दशम भाव का स्वामी होगा। केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होना एक अच्छा संकेत है। कर्क लग्न की स्थिति में जब मंगल प्रथम भाव में हो तो संपत्ति से लाभ प्राप्त करने के लिए बहुत अच्छा रहेगा। मांगलिक दोष के बावजूद इसका प्रभाव हल्का ही रहेगा। यह जातक की आजीविका के लिए भी एक अच्छा संकेत है।
सिंह लग्न में मंगल
सिंह लग्न में मंगल कुंडली में चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होगा। कुंडली में पहले भाव में इसकी उपस्थिति संपत्तियों से भारी लाभ कमाने का संकेत होगी। जातक के पास जन्म से ही बड़ी संपत्ति होने की संभावना होती है। मांगलिक दोष के बावजूद इसका प्रभाव हल्का ही रहेगा।
कन्या लग्न में मंगल
कन्या लग्न में मंगल तीसरे और आठवें भाव का स्वामी होगा। कन्या लग्न के मामले में पहले घर में मंगल की उपस्थिति जातक के स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है, खासकर मंगल की महादशा और अंतर्दशा के दौरान। लेकिन मंगल अष्टम भाव को अपनी पूर्ण दृष्टि के साथ देखेगा यह लंबी आयु का संकेत है। यदि गुरु और चंद्र ग्रह अच्छी स्थिति में हों तो जातक की आयु लंबी होने की संभावना होती है।
तुला लग्न में मंगल
तुला लग्न में मंगल द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होगा। पहले घर में मंगल की उपस्थिति से वैसे तो मांगलिक दोष होता है लेकिन अपने सातवें घर पर मंगल की पूरन द्रष्टि मंगल दोष की तीव्रता को कम कर देगी। अत: निष्कर्ष रूप में यह स्वास्थ्य और वित्त के लिए इतना अच्छा नहीं होगा, क्योंकि मंगल अपने घर से बारहवें स्थान पर स्थित है।
वृश्चिक लग्न में मंगल
वृश्चिक लग्न में मंगल पहले और छठे भाव का स्वामी होगा। पहले घर में मंगल की उपस्थिति विशेष रूप से स्वास्थ्य और धन के लिए अच्छी होगी और सूर्य के साथ इसकी युति सरकारी सेवा आदि के लिए अच्छी होगी। गुरु द्वारा देखा जाए तो यह अधिक शुभ होगा।
धनु लग्न में मंगल
धनु लग्न में मंगल द्वादश और पंचम भाव का स्वामी होगा। कुंडली में पहले भाव में इसकी उपस्थिति का परिणाम तभी अच्छा परिणाम देगा जब यह शुभ ग्रहों, विशेषकर बृहस्पति के साथ युति में हो या देखा जा रहा हो।
मकर लग्न में मंगल
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होगा। कुंडली के पहले घर में इसकी उपस्थिति जातक के लिए बहुत ही शुभ होगी जहां तक संपत्ति से लाभ का संबंध है। मंगल भी अपनी उच्च राशी में है, इसलिए जातक को अपने पेशेवर जीवन में भारी लाभ मिलेगा, क्योंकि यह कुंडली में लाभेश है।
कुंभ लग्न में मंगल
कुंभ लग्न में मंगल कुंडली के तीसरे और दसवें भाव का स्वामी होगा। कुंडली में पहले भाव में इसकी उपस्थिति से मिश्रित परिणाम की संभावना है लेकिन मांगलिक दोष का भी कुछ असर होगा। जब यह बृहस्पति के साथ या उसके द्वारा देखा जाता है तो यह उसके व्यवसाय या पेशे के लिए बहुत अच्छा होगा।
मीन लग्न में मंगल
मीन लग्न में मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी होगा। पहले घर में मंगल अपने दूसरे घर से बारहवें भाव में होगा जो धन के प्रवाह को बाधित करेगा। सप्तम भाव में मंगल दोष को मजबूत करने वाली मंगल की शत्रु दृष्टि होगी। बुध की मिथुन और कन्या राशियों दोनों पर मंगल की पूर्ण दृष्टि होगी जो कि बुध की शुभता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी। हालांकि अगर मंगल गुरु के साथ हो या देखा जाए तो यह एक अच्छा संकेत होगा।