बारह राशियों में कन्या ( Virgo ) छठी राशि है। कन्या राशि का स्वामी बुध है और कन्या ( Kanya ) राशि के जातकों के लिए बुध का गोचर महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु, शनि और राहु-केतु आदि का गोचर भी महत्वपूर्ण होता है। बुध और अन्य ग्रहों के गोचर के आधार पर 2023 के लिए कन्या राशि के जातकों के लिए राशिफल इस प्रकार होगा:-
वर्ष की शुरुआत में बुध धनु राशि में रहेगा। 7 फरवरी 2023 को बुध धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। गुरु और शुक्र जैसे ग्रह अस्त या वक्री होने पर उनकी राशियों को प्रभावित करते हैं। लेकिन वक्री या अस्त होने पर बुद्ध अपने राशि के जातकों को इतना प्रभावित नहीं करते हैं।
पहला कारण यह है कि बुध वह ग्रह है जो ज्यादातर सूर्य के पास रहता है I इसलिए जब यह अस्त होता है तो यह मिथुन और कन्या राशि के जातकों को प्रभावित नहीं करता है। बृहस्पति और शुक्र ग्रह वर्ष में लगभग एक बार वक्री होते हैं। लेकिन बुध ग्रह साल में तीन से चार बार वक्री होता है।
लेकिन जब बुध गोचर में प्रतिकूल भाव में होता है या पाप ग्रहों के साथ युति में होता है तो यह मिथुन और कन्या राशि के जातकों के लिए कुछ समस्याएं पैदा करता है।
वर्ष की शुरुआत में बुध धनु राशि में है और और अपनी राशि से चतुर्थ भाव में है। गुरु आपकी राशि से सप्तम भाव में, राहु अष्टम भाव में और केतु दूसरे घर में है। शनि आपके पंचम भाव में है।
शनि 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। कुंभ राशि में शनि का गोचर आपके लिए शुभ रहेगा।आप अपने शत्रुओं पर बढ़त बनाने में सक्षम होंगे।
आपके रास्ते में आने वाली बाधाएं कम होने की संभावना है। करीब दो साल तक शनि का यह गोचर आपके लिए अच्छा फल देगा।
गुरु, शनि और राहु केतु धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। औसतन गुरु एक राशि में एक वर्ष तक रहता है, शनि एक राशि में ढाई वर्ष और राहु और केतु एक राशि में डेढ़ वर्ष तक रहते हैं। इसलिए सभी राशियों के लिए गुरु, शनि और राहु केतु का गोचर महत्वपूर्ण है।
22 अप्रैल 2023 को बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करेगा। आपकी राशि से बृहस्पति आठवें भाव में होगा I यह परिवर्तन आपके लिए अनुकूल होने की संभावना नही है। आपका मनोबल पहले जैसा ऊंचा नहीं रहेगा।
30 अक्टूबर 2023 के बाद राहु और केतु अपनी राशि बदलेंगे। 30 अक्टूबर 2023 को राहु मीन राशि में प्रवेश करेगा और केतु कन्या राशि में प्रवेश करेगा I यह परिवर्तन आपके लिए अधिक सकारात्मक होने की संभावना नहीं है।
लेकिन इस साल की शुरुआत से शनि का छठे भाव में गोचर आपके लिए एक सकारात्मक बिंदु होगा और आपको सही रास्ते पर रखेगा।
कन्या राशि के जातक पूर्व-स्थापित प्रथाओं के अनुसार योजनाएँ बनाना पसंद करते हैं और वे अंत तक अपनी योजना पर टिके रहते हैं। दरअसल कन्या राशि के लोग अनुशासन प्रिय लोग होते हैं। वे तर्क के साथ आगे बढ़ना पसंद करते हैं न कि अनुमानों के साथ।
Kanya Rashi and Business & Profession 2023
कन्या राशि के लिए गोचर ग्रहों में सबसे बड़ा और पहला परिवर्तन शनि का राशि परिवर्तन होगा। 17 जनवरी 2023 को शनि आपकी राशि से छठे भाव में प्रवेश करेगा। यह आपके व्यवसाय और पेशे से संबंधित उन समस्याओं को हल करने में मदद करेगा जो लंबे समय से लंबित थीं।
यदि आप लंबे समय से एक नए उद्यम की योजना बना रहे हैं तो आप इसे अपने तरीके से लागू करने में सफल हो सकते हैं। यह वह अवधि हो सकती है जब आपको अतीत में की गई मेहनत का फल मिल रहा होगा।
लेकिन 22 अप्रैल 2023 के बाद गुरु का राशि परिवर्तन आपके लिए इतना अनुकूल साबित नहीं होगा। यह सावधान रहने और पहले से लागू की गई योजनाओं पर पुनर्विचार करने का सही समय होगा।
Kanya Rashi and Student Life 2023
गोचर की दृष्टि से 17 जनवरी से 22 अप्रैल तक का समय सर्वोत्तम परिणाम लाएगा। लेकिन इस अवधि के बाद की अवधि आपकी पढ़ाई के मामले में औसत साबित होगी।
संक्षेप में कहें तो छात्रों के लिए 17 जनवरी 2023 को शनि का राशि परिवर्तन अनुकूल रहेगा लेकिन 22 अप्रैल 2023 के बाद गुरु का राशि परिवर्तन इतना अनुकूल नहीं होगा।
Kanya Rashi and Health 2023
अगर आप लंबे समय से चली आ रही बीमारी से परेशान हैं तो 17 जनवरी 2023 के बाद का समय आपके लिए कुछ राहत लेकर आएगा। यदि आप मानसिक रूप से परेशान हैं तो आपको अपनी कुछ कठिनाइयों से छुटकारा मिलेगा।
लेकिन 22 अप्रैल 2023 के बाद जब गुरु आपकी राशि से अष्टम भाव में प्रवेश करेंगे तो आपको फिर से कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जहाँ तक आपके स्वास्थ्य का संबंध है।
30 अक्टूबर के बाद केतु आपकी राशि में डेढ़ वर्ष तक रहेगा। गोचर में केतु के साथ मंगल या सूर्य की युति में अपने स्वास्थ्य के लिए सावधान रहें। याद रखें कि सूर्य एक राशि में गोचर में एक महीने के लिए होता है और मंगल एक राशि में डेढ़ महीने के लिए गोचर में होता है जब यह वक्री नहीं होता है। सूर्य कभी वक्री नहीं होता।
यह याद रखना चाहिए कि केवल गोचर गृहों के आधार पर ही फलादेश नहीं बनाना चाहिए। जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और ग्रहों की वर्तमान दशा और वर्तमान गोचर (Current Position of Planets ) का अत्यधिक महत्व है। यदि फलादेश को जन्म समय ग्रहों की स्थिति और ग्रहों की वर्तमान स्थिति दोनों को ध्यान में रखकर किया जाता है तो यह अधिक सटीक होने की संभावना है।