जन्मकुंडली में यदि मंगल ( Mangal ) आठवें स्थान में हो तो विभिन्न लग्नों में इसका फल ( Ashtam bhav me fal ) अलग होगा। यह याद रखना चाहिए कि केवल एक ग्रह को देखकर फलादेश नहीं बोलना चाहिए। बल्कि भविष्यवाणी हमेशा सभी ग्रहों और अन्य कारकों के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होनी चाहिए। आमतौर पर जातक के दाम्पत्य जीवन के लिए अष्टम भाव में मंगल की स्थिति बहुत अच्छी नहीं मानी जाती है। जन्मकुंडली में अलग-अलग लगनो में मंगल का फल (यदि मंगल आठवें स्थान में हो तो ) कैसा रहेगा निम्न पंक्तियों में बताया गया है:-
मेष लग्न में मंगल
मेष लग्न में यदि मंगल आठवें स्थान पर हो तो तब वह लग्न और अष्टम का स्वामी होकर अष्टम भाव में होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के अष्टम भाव में किसी भी ग्रह की स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है। विशेष रूप से अष्टम भाव में लग्नेश की स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है। लेकिन शनि या राहु केतु आदि के साथ न हो तो इतना अशुभ नहीं होगा।
वृष लग्न में मंगल
वृष लग्न में मंगल बारहवें और सातवें घर का स्वामी है। इस लग्न में मंगल मंगल आठवें स्थान पर हो तो जातक को विशेष रूप से मांगलिक दोष का सामना करना पड़ेगा। जब सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक के वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं होता है।
मिथुन लग्न में मंगल
मिथुन लग्न में मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा। अतः स्थान में मंगल आठवें स्थान पर हो तो इस लग्न में भी जातक को विशेष रूप से मांगलिक दोष का सामना करना पड़ेगा। छठा घर रोगों से संबंधित है। अत: अष्टम भाव में छठे भाव का स्वामी अच्छा नहीं होता है।
कर्क लग्न में मंगल
कर्क लग्न में मंगल कुंडली में पंचम और दशम भाव का स्वामी होगा। केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होना एक अच्छा संकेत है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी है तो उसकी पापी प्रकृति निष्प्रभावी हो जाती है। मंगल आठवें स्थान पर हो तो तब कुंडली में अष्टम भाव में स्थिति होने के कारण मंगल शुभ फल नहीं दे पाएगा। जातक विद्या या पेशे में ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर पाएगा।
सिंह लग्न में मंगल
सिंह लग्न में मंगल कुंडली में चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल आठवें स्थान पर हो तो यह जातक के भाग्य में बाधा डालेगा I जातक का पारिवारिक जीवन मधुर नहीं रहेगा। यदि कुंडली में सूर्य भी कमजोर हो तो जातक का शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने की संभावना रहती है।
कन्या लग्न में मंगल
कन्या लग्न में मंगल तीसरे और आठवें भाव का स्वामी होगा। कन्या लग्न के मामले में मंगल आठवें स्थान पर हो तो तो यह जातक के लिए इतना शुभ सिद्ध नहीं होगा। बुध ग्रह भी मंगल जातक के साथ हो तो रक्त संबंधी रोग होने की संभावना रहती है।
तुला लग्न में मंगल
तुला लग्न में मंगल द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल मंगल आठवें स्थान पर हो तो जातक को विशेष रूप से मांगलिक दोष का सामना करना पड़ेगा। जब सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक के वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं होता है। लेकिन यदि शुक्र, बुध और चंद्रमा दूसरे या एकादश भाव में हों तो जातक के जीवन में धन का बहुत अधिक संचय होने की संभावना होती है।
वृश्चिक लग्न में मंगल
वृश्चिक लग्न में मंगल पहले और छठे भाव का स्वामी होगा। यदि मंगल अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक के लिए मंगल की स्थिति अच्छी नहीं होती है। यह इस लग्न के लिए विशेष रूप से है। जातक को अपने जीवन में कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, खासकर यदि गुरु और चंद्रमा जातक की कुंडली में पर्याप्त मजबूत नहीं हैं।
धनु लग्न में मंगल
धनु लग्न में मंगल द्वादश और पंचम भाव का स्वामी होगा। कुंडली में मंगल आठवें स्थान पर हो तो जातक की विद्या में विघ्न आने की संभावना है। लेकिन अगर गुरु तीसरे भाव में है तो जातक कुछ बाधाओं के बाद अपनी पढ़ाई पूरी कर सकता है।
मकर लग्न में मंगल
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होगा। मंगल आठवें स्थान पर हो तो यह घर के सुख के लिए अच्छा नहीं है I लेकिन अगर कुंडली में शुक्र और शनि अच्छी स्थिति में हैं, तो जातक को अपने व्यवसाय या पेशे से बहुत लाभ होने की संभावना है।
कुंभ लग्न में मंगल
कुंभ लग्न में मंगल कुंडली के तीसरे और दसवें भाव का स्वामी होगा। मंगल आठवें स्थान पर हो तो तब जातक के अपने पेशे के प्रति आलसी होने की संभावना है। दूसरे शब्दों में उसे अपनी नौकरी या पेशे में इतनी दिलचस्पी नहीं होगी।
मीन लग्न में मंगल
मीन लग्न में मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी होगा। मंगल आठवें स्थान पर हो तो तो उसकी स्थिति उसके अपने नवम भाव से बारहवीं होगी। मंगल जातक के भाग्य में बाधा डालेगा। लेकिन मंगल जातक को उसके जीवन में कुछ धन संचय करने में मदद करेगा।