जन्म कुण्डली (Birth Chart) में गुरु (Jupiter) की स्थिति का बहुत महत्व होता है। बृहस्पति न केवल उस घर को प्रभावित करता है जिसमें वह स्थित होता है बल्कि अन्य घरों को भी अपनी दृष्टि से प्रभावित करता है। इसलिए कुंडली (Horoscope) से भविष्यवाणी करते समय बृहस्पति को उचित महत्व देना महत्वपूर्ण है।
सामान्यतः कुंडली के आठवें (Eighth) भाव में किसी भी ग्रह की उपस्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है। जहां तक बृहस्पति का सवाल है जन्म कुण्डली के लग्न (Ascendant) से आठवें भाव में गुरु का फलादेश इस प्रकार होगा:-
Jupiter in Eighth house in case of Aries Ascendant – मेष लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
मेष लग्न में गुरु जन्म कुण्डली में नवम और द्वादश भाव का स्वामी होता है। यदि बृहस्पति आठवें भाव में है तो यह वृश्चिक राशि में होगा I गुरु अपनी ही राशि धनु से बारहवें घर में होगा, जो इस स्थिति में भाग्य स्थान भी है। यह स्थिति तब तक शुभ नहीं कही जा सकती जब तक कि कुंडली में मंगल और चंद्रमा भी मजबूत न हों।
लेकिन फिर भी यदि चंद्रमा और मंगल मजबूत हों तो जातक के पास कई संपत्तियां हो सकती हैं। यदि शुक्र भी आठवें भाव में हो तो जातक को वैवाहिक जीवन में परेशानियां हो सकती हैं या उसके विवाह में देरी हो सकती है।
Jupiter in Eighth house in case of Taurus Ascendant- वृष लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
वृष लग्न में गुरु जन्मकुंडली में आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है। जातक अपने व्यवसाय में बहुत सफल नहीं हो सकता है और उसे व्यवसाय से किसी नौकरी में स्थानांतरित होने पर विचार करना पड़ सकता है।
हालाँकि जातक को कुछ नियमित आय प्राप्त हो सकती है लेकिन आय के स्रोत बढ़ाना कठिन होगा। इसलिए कभी-कभी जातक को धन संबंधी कुछ परेशानियां हो सकती हैं।
Jupiter in Eighth house in case of Gemini Ascendant – मिथुन लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
मिथुन लग्न के मामले में गुरु कुंडली के सप्तम और दशम भाव का स्वामी होता है। अत: गुरु दो केन्द्र भावों के स्वामी हैं। इस लग्न में जातक सामान्यतः शिक्षा के क्षेत्र में होता है।
मिथुन लग्न में यदि बृहस्पति आठवें भाव में है तो वह मकर राशि में होगा जो इसकी नीच राशि भी है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि जातक अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं हो सकता है और जहाँ तक उसके वैवाहिक जीवन की बात है तो उसे कई निराशाओं का सामना करना पड़ सकता है।
दशम भाव का स्वामी अष्टम भाव में है, अत: इसका परिणाम यह होगा कि जातक को अपने करियर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
Jupiter in Eighth house in case of Cancer Ascendant – कर्क लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
कर्क लग्न में गुरु छठे और नौवें भाव के स्वामी होंगे। आठवें भाव में बृहस्पति कुंभ राशि में है।
“शनि क्षेत्रे यदा जीव : जीव क्षेत्रे यदा शनि :, स्थान हानि करो जीव: स्थानवृद्धि करो शनि: ||
अर्थात – गुरु के क्षेत्र में शनि हो और शनि के क्षेत्र में गुरु हो, तब गुरु उस स्थान की हानि करता है और शनि उस स्थान के फल में वृद्धि करते हैं।
नवम भाव के स्वामी की अष्टम भाव में उपस्थिति के कारण जातक को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए यह आवश्यक है कि अन्य ग्रह शुभ स्थिति में हों ताकि जातक के जीवन में उन्नति हो सके।
Jupiter in Eighth house in case of Leo Ascendant – सिंह लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
सिंह लग्न में बृहस्पति पंचम और अष्टम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में बृहस्पति पांचवें घर का स्वामी होता है जो विद्या का घर भी है इसलिए जातक की विद्या जातक की आजीविका में एक बड़ी भूमिका निभाती है।
पंचम भाव के स्वामी के अष्टम भाव में स्थित होने के कारण जातक पढ़ाई में उतना अच्छा नहीं होता है, लेकिन बृहस्पति के अपने ही घर में होने के कारण जातक को अपनी पढ़ाई पूरी करने में मदद मिलेगी। लेकिन यदि जन्म कुंडली में सूर्य मजबूत नहीं है तो यह अच्छा संकेत नहीं होगा।
Jupiter in Eighth house in case of Virgo Ascendant – कन्या लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
कन्या लग्न में बृहस्पति चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होता है। बृहस्पति की इस स्थिति के कारण जातक को अपने घर का पूरा सुख नहीं मिल पाता है। बृहस्पति की यह स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन के लिए भी अच्छी नहीं है, जब तक कि कुंडली में शुक्र भी अच्छी स्थिति में न हो।
Jupiter in Eighth house in case of Libra Ascendant – तुला लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
तुला लग्न में बृहस्पति योगकारक ग्रह नहीं होता है I आठवें भाव में गुरु होने की स्थिति में जातक बहुत मेहनत से थोड़ा धन कमाता है। यदि शुक्र और शनि भी शुभ स्थिति में न हों तो धन का संचय नहीं हो पाता है।
Jupiter in Eighth house in case of Scorpio Ascendant – वृश्चिक लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
वृश्चिक लग्न में गुरु कुण्डली में दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी होता है I पंचम भाव का स्वामी होने के कारण बृहस्पति जातक के विद्या घर का प्रतिनिधित्व करता है। आठवें भाव में बृहस्पति की उपस्थिति जातक की विद्या के लिए शुभ नहीं होती है।
लेकिन दूसरे घर, जो कि अपना घर है, पर गुरु की पूर्ण दृष्टि के कारण कुछ स्रोतों से धन का प्रवाह होता है। लेकिन यदि जन्म कुंडली में मंगल और सूर्य पर्याप्त मजबूत हों तो जातक धनवान व्यक्ति होता है।
Jupiter in Eighth house in case of sagittarius Ascendant – धनु लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
धनु लग्न में गुरु कुंडली में लग्न और चतुर्थ भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में बृहस्पति अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है I इस लग्न में जब गुरु आठवें भाव में होता है तो अपनी उच्च राशि कर्क में होता है।
यद्यपि अष्टम भाव में गुरु की स्थिति, विशेषकर लग्न का स्वामी होने के कारण, शुभ नहीं मानी जाती है। लेकिन उच्च राशि में गुरु की उपस्थिति के कारण इसके नकारात्मक प्रभाव कुछ हद तक कम हो जाते हैं।
Jupiter in Eighth house in case of Capricorn Ascendant – मकर लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
मकर लग्न में बृहस्पति बारहवें और तीसरे भाव का स्वामी होता है। अतः इस लग्न में बृहस्पति को योगकारक ग्रह नहीं कहा जा सकता है। जब बृहस्पति आठवें भाव में होता है तो जातक का खर्च जातक की आय से अधिक होता है। इसके परिणामस्वरूप जातक पर अत्यधिक ऋण हो सकता है।
इसलिए जरूरी है कि जातक अपने खर्चों को लेकर विशेष रूप से सतर्क रहे।
Jupiter in Eighth house in case of Aquarius Ascendant – कुंभ लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
कुंभ लग्न में बृहस्पति एकादश और दूसरे भाव का स्वामी होता है I अतः बृहस्पति धन और आय का प्रतिनिधित्व करता है I बृहस्पति की शुभ स्थिति जातक को आर्थिक रूप से बहुत मजबूत बनाती है।
आठवें घर में गुरु की उपस्थिति जातक के वित्त के लिए अच्छी नहीं है। लेकिन फिर भी जातक के पास आय का कोई न कोई स्रोत हमेशा रहता है।
Jupiter in Eighth house in case of Pisces Ascendant – मीन लग्न में बृहस्पति आठवें भाव में
मीन लग्न में गुरु कुंडली में पहले और दसवें भाव का स्वामी होता है I आठवें घर में गुरु की उपस्थिति जातक और उसके करियर के लिए भी शुभ नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दो सबसे महत्वपूर्ण घरों का स्वामी बृहस्पति कमजोर हो जाता है। यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा भी कमजोर हो तो जातक को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कुंडली से भविष्यवाणी हमेशा सभी तथ्यों और सभी ग्रहों की स्थिति और शुभता को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए। केवल एक ग्रह की स्थिति पर विचार नहीं करना चाहिए।