जन्मकुंडली में यदि मंगल ( Mangal ) बारहवें स्थान में हो तो विभिन्न लग्नों में इसका फल (12th House me fal ) अलग होगा। यह याद रखना चाहिए कि केवल एक ग्रह को देखकर फलादेश नहीं बोलना चाहिए। बल्कि भविष्यवाणी हमेशा सभी ग्रहों और अन्य कारकों के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होनी चाहिए। जन्मकुंडली में अलग-अलग लगनो में मंगल का फल (यदि मंगल बारहवें स्थान में हो तो Mangal in Twelfth House) कैसा रहेगा निम्न पंक्तियों में बताया गया है:-
मेष लग्न में मंगल
मंगल मेष लग्न में यदि बारहवें स्थान पर हो तो तब वह लग्न और अष्टम का स्वामी होकर बारहवें स्थान पर होगा I लग्नेश का द्वादश भाव में होना बहुत अच्छा संकेत नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि जातक अपने द्वारा कमाए गए धन को जमा नहीं कर पाएगा। कुल मिलाकर जातक के जीवन में व्यय की अधिकता रहेगी। मांगलिक दोष भी रहेगा।
वृष लग्न में मंगल
वृष लग्न में मंगल बारहवें और सातवें घर का स्वामी है। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो तो जीवनसाथी पर खर्च बढ़ेगा। मांगलिक दोष भी रहेगा। लेकिन सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है, मांगलिक दोष कुछ हद तक निष्प्रभावी हो सकता है।
मिथुन लग्न में मंगल
मिथुन लग्न में मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा। अतः मंगल बारहवें स्थान पर हो तो जातक के जीवन में बहुत अधिक व्यय होगा। यदि जातक कोई व्यवसाय शुरू करता है तो उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। लेकिन अगर गुरु मजबूत है तो जातक के पेशेवर जीवन पर इसका इतना प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कर्क लग्न में मंगल
कर्क लग्न में मंगल कुंडली में पंचम और दशम भाव का स्वामी होगा। केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होना एक अच्छा संकेत है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि कोई पाप ग्रह केंद्र का स्वामी है तो उसकी पापी प्रकृति निष्प्रभावी हो जाती है। बारहवें भाव में मंगल का होना बहुत अच्छा संकेत नहीं है। जातक के जीवन में प्रगति करने के लिए इस लग्न में मंगल की अच्छी स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह इस बात का संकेत है कि पढ़ाई, व्यवसाय या पेशे और जातक के बच्चों पर अत्यधिक खर्च होगा।
सिंह लग्न में मंगल
सिंह लग्न में मंगल कुंडली में चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो तो यह इस बात का सूचक है कि जातक विभिन्न संपत्तियों पर बहुत अधिक खर्च करेगा और केवल थोड़ा लाभ प्राप्त करेगा। यदि कुंडली में सूर्य भी कमजोर है तो जातक के लिए अपने जीवन में प्रगति करना बहुत कठिन होगा।
कन्या लग्न में मंगल
कन्या लग्न में मंगल तीसरे और आठवें भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो तो मांगलिक दोष जातक पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा क्योंकि तीसरे और आठवें भाव के स्वामी की सप्तम भाव में पूर्ण दृष्टि है जो कि जीवनसाथी का घर है। इसलिए शादी से पहले कुंडली मिलान कर लें तो बेहतर होगा।
तुला लग्न में मंगल
तुला लग्न में मंगल द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो तो मांगलिक दोष होगा लेकिन सप्तम भाव के स्वामी की अपने घर में पूर्ण दृष्टि होने के कारण यह थोड़ा बेहतर होगा। धन संचय करना कठिन होगा और समय के साथ व्यय में वृद्धि होगी।
वृश्चिक लग्न में मंगल
वृश्चिक लग्न में मंगल पहले और छठे भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में यदि मंगल बारहवें स्थान पर हो तब जातक अपने शौक पर अत्यधिक खर्च करेगा। यदि सूर्य और बुध भी कमजोर हैं तो आय के स्रोत भी कम हो जाएंगे। लेकिन लग्नेश मंगल के सप्तम भाव में पूर्ण दृष्टि होने से मंगल दोष का इतना अधिक प्रभाव नहीं होगा।
धनु लग्न में मंगल
धनु लग्न में मंगल द्वादश और पंचम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो तथा गुरु भी कमजोर हो तो जातक को अपनी पढ़ाई में इतनी दिलचस्पी नहीं होगी। अगर वह पढ़ाई में रुचि लेने की कोशिश करेगा तो भी उसे अपनी मेहनत के अनुसार सफलता नहीं मिलेगी।
मकर लग्न में मंगल
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो तो ये इतने शुभ संकेत नहीं हैं। यदि लाभ भाव का स्वामी व्यय भाव में बैठा हो तो यह शुभ संकेत कैसे हो सकता है? ऐसे जातक को विशेष रूप से संपत्ति की बिक्री और खरीद के कारोबार में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि उसे नुकसान होने की संभावना है।
कुंभ लग्न में मंगल
कुंभ लग्न में मंगल कुंडली के तीसरे और दसवें भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो तो जातक को अपने जीवन यापन और नौकरी पाने के लिए बहुत अधिक खर्च करना पड़ेगा। जातक धन की बचत करने का प्रयास कर सकता है लेकिन यदि शेष ग्रह शुभ नहीं हैं तो उसके अधिक व्यय से धन का संचय नहीं होगा।
मीन लग्न में मंगल
मीन लग्न में मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी होगा। इस लग्न में मंगल बारहवें स्थान पर हो यह इस बात का संकेत है कि जातक अपने द्वारा कमाए गए धन को जमा नहीं कर पाएगा। यदि शनि भी बारहवें भाव में मंगल के साथ हो तो व्यय उसके नियंत्रण से बाहर हो सकता है। जातक के लिए यह बेहतर होगा कि वह बचपन से ही अपने खर्चों पर नियंत्रण रखे। हालाँकि गुरु की शुभ स्थिति जातक के लिए अच्छी होगी और वह कठिन परिस्थितियों को दूर करने में सक्षम होगा।